जेम्स मैडिसन संयुक्त राज्य अमेरिका के चौथे राष्ट्रपति और "संविधान के जनक" के रूप में जाने जाते हैं। यहाँ उनका संक्षिप्त जीवन परिचय दिया गया है: * प्रारंभिक जीवन और शिक्षा: * जेम्स मैडिसन का जन्म 16 मार्च, 1751 को वर्जीनिया में हुआ था। * उन्होंने प्रिंसटन कॉलेज (उस समय द कॉलेज ऑफ न्यू जर्सी के नाम से जाना जाता था) में शिक्षा प्राप्त की। * उन्होंने बहुत ही अच्छी शिक्षा प्राप्त की थी। * राजनीतिक करियर: * उन्होंने अमेरिकी क्रांति के दौरान वर्जीनिया की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई। * 1787 में, उन्होंने संवैधानिक सम्मेलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जहाँ उन्होंने अमेरिकी संविधान का मसौदा तैयार करने में मदद की। * उन्होंने "द फेडरलिस्ट पेपर्स" के सह-लेखक के रूप में संविधान के अनुसमर्थन के लिए तर्क दिया। * उन्होंने बिल ऑफ राइट्स को बनाने में अहम भूमिका निभाई। * उन्होंने 1801 से 1809 तक थॉमस जेफरसन के अधीन राज्य सचिव के रूप में कार्य किया। * 1809 से 1817 ...
1952 भाषा आंदोलन
* 1952 का भाषा आंदोलन:- भारत में भाषाई अधिकारों के लिए एक महत्वपूर्ण आंदोलन था। यह आंदोलन विशेष रूप से तमिलनाडु राज्य में हिंदी भाषा को थोपने के खिलाफ था।
* पृष्ठभूमि:-
भारत की स्वतंत्रता के बाद, केंद्र सरकार ने हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में स्थापित करने का प्रयास किया। हालांकि, गैर-हिंदी भाषी राज्यों, विशेषकर दक्षिण भारत में, इसका विरोध हुआ। इन राज्यों का मानना था कि हिंदी को थोपना उनकी भाषाई और सांस्कृतिक पहचान के खिलाफ है।
* आंदोलन की शुरुआत:-
1952 में, मद्रास राज्य (वर्तमान में तमिलनाडु) में हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में लागू करने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ आंदोलन शुरू हुआ। इस आंदोलन का नेतृत्व द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रविड़ मुनेत्र कड़गम) ने किया था।
* प्रमुख घटनाएं:-
1. विरोध प्रदर्शन: आंदोलन के दौरान, राज्य भर में विरोध प्रदर्शन और रैलियां आयोजित की गईं।
2. गिरफ्तारियां: कई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया, जिनमें द्रविड़ मुनेत्र कड़गम के नेता भी शामिल थे।
3. हिंसक झड़पें: कुछ स्थानों पर, पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पें हुईं।
* परिणाम:-
1952 के भाषा आंदोलन का परिणाम यह हुआ कि केंद्र सरकार को अपनी नीति में बदलाव करना पड़ा। सरकार ने यह आश्वासन दिया कि गैर-हिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी को थोपा नहीं जाएगा। इसके साथ ही, अंग्रेजी को भी आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी गई।
* महत्व:-
1952 का भाषा आंदोलन भारत में भाषाई अधिकारों के लिए एक महत्वपूर्ण घटना थी। इस आंदोलन ने यह स्पष्ट कर दिया कि किसी भी भाषा को लोगों पर थोपा नहीं जा सकता है। इसके अलावा, इस आंदोलन ने भाषाई विविधता के महत्व को भी उजागर किया।
यह आंदोलन भाषाई अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और भाषाई समानता को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण साबित हुआ।
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