जेम्स मैडिसन संयुक्त राज्य अमेरिका के चौथे राष्ट्रपति और "संविधान के जनक" के रूप में जाने जाते हैं। यहाँ उनका संक्षिप्त जीवन परिचय दिया गया है: * प्रारंभिक जीवन और शिक्षा: * जेम्स मैडिसन का जन्म 16 मार्च, 1751 को वर्जीनिया में हुआ था। * उन्होंने प्रिंसटन कॉलेज (उस समय द कॉलेज ऑफ न्यू जर्सी के नाम से जाना जाता था) में शिक्षा प्राप्त की। * उन्होंने बहुत ही अच्छी शिक्षा प्राप्त की थी। * राजनीतिक करियर: * उन्होंने अमेरिकी क्रांति के दौरान वर्जीनिया की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई। * 1787 में, उन्होंने संवैधानिक सम्मेलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जहाँ उन्होंने अमेरिकी संविधान का मसौदा तैयार करने में मदद की। * उन्होंने "द फेडरलिस्ट पेपर्स" के सह-लेखक के रूप में संविधान के अनुसमर्थन के लिए तर्क दिया। * उन्होंने बिल ऑफ राइट्स को बनाने में अहम भूमिका निभाई। * उन्होंने 1801 से 1809 तक थॉमस जेफरसन के अधीन राज्य सचिव के रूप में कार्य किया। * 1809 से 1817 ...
डार्विन का सिद्धांत (Darwin's Theory)
* चार्ल्स डार्विन एक प्रसिद्ध अंग्रेजी जीवविज्ञानी थे, जिन्होंने अपने सिद्धांतों के माध्यम से जीवविज्ञान और विकासवाद में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके सिद्धांतों में शामिल हैं:-
* डार्विन के मुख्य सिद्धांत:-
1. प्राकृतिक चयन का सिद्धांत (Theory of Natural Selection): डार्विन ने बताया कि प्राकृतिक चयन एक प्रक्रिया है जिसमें जीवित प्राणियों के लक्षण और विशेषताएं उनके पर्यावरण के अनुसार बदलती हैं।
2. विकासवाद का सिद्धांत (Theory of Evolution): डार्विन ने बताया कि विकासवाद एक प्रक्रिया है जिसमें जीवित प्राणियों के लक्षण और विशेषताएं समय के साथ बदलती हैं।
3. जीन पूल का सिद्धांत (Theory of Gene Pool): डार्विन ने बताया कि जीन पूल एक जीवित प्राणी के जीन्स का संग्रह है, जो उसके लक्षण और विशेषताएं निर्धारित करता है।
4. अनुकूलन का सिद्धांत (Theory of Adaptation): डार्विन ने बताया कि अनुकूलन एक प्रक्रिया है जिसमें जीवित प्राणियों के लक्षण और विशेषताएं उनके पर्यावरण के अनुसार बदलती हैं।
5. वंशानुगति का सिद्धांत (Theory of Heredity): डार्विन ने बताया कि वंशानुगति एक प्रक्रिया है जिसमें जीवित प्राणियों के लक्षण और विशेषताएं उनके माता-पिता से विरासत में मिलती हैं।
डार्विन के सिद्धांतों ने जीवविज्ञान और विकासवाद में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, और आज भी वे जीवविज्ञान और विकासवाद के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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